Thursday, May 26, 2016

Old skin, lost words

Old skin, you have feasted 
on silence for long. The words
you don't have are your scars. 
When will you be whole again? 
When will your creases fill? 
For long you have listened
and forgotten your voice. In 
the nights of agony only a 
whimper escapes your tongue
and long before it falls into 
discerning ears it dies in the 
chaos of understanding. There
is always a story you never
live to tell. But its your version
that goes missing. 

Sunday, May 1, 2016

सपने का आदमी

आज कुछ अटका हुआ है दिन
छन कर आया हो जैसे किसी
उदासी से, आज तो कहीं नहीं
गया मैं, न किसी से बात ही की।
माज़ी तो नहीं जो दबे पाँव सांझ
की करवट ओढ़े मेरी खिड़की
पर अटका पड़ा है?

अब मुझे पूछ ही लेना चाहिए
उससे जो गए बरस छोड़ गयी
क्या वो जाते-जाते अपने सपनों में
आया वह आदमी भी ले गयी
जिसे कभी अकेलेपन में उसने
गढ़ा था?

मैं वो इंसान तो कभी नहीं
बन पाया, पर एक टीस
सी रह गयी न  बन पाने
की।

आज मैं कुछ और हूँ,
पर हूँ उसी सपने का आदमी।