Monday, November 22, 2010

सत्‍य

स्‍व से ऐसी विरक्ति में
जहाँ सत्‍य
प्‍यार की उष्‍णता से भरी भावनाओं के साथ
तुम्‍हें उकेरते हुए नसीब की
विडंबना बरकर व्‍याप जाता है
वहाँ जीवन का संवाद बहुत मुश्किल था

अपने ही तनावों में धँसा मैं, तुम्‍हारे सत्‍य को अपने में खोजने की कोशिश कर रहा हूँ
तुम कहाँ थी ?
सत्‍य में, अनुभूति में या खुद मुझमें

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सहृदय धन्यवाद् मेरे मित्र  प्रमोद जी को  इस कविता का अनुवाद करने के लिए. 

Tuesday, November 16, 2010

emptiness

Staring into emptiness, I had lost count
of the times I have been broken, Torn
between ever widening words and ever
extending moments of silence

Deep depths do not exist for desire, for
where a life has forgotten abyss

Saturday, November 13, 2010

फिर कहीं

फिर कहीं  रंग घोल दिया यादों  ने
फिर कहीं पत्ते झड़ने लगे

धीमी होती इस रोशनाई में
फिर कही बादल बरसने लगे

Tuesday, November 9, 2010

एक प्रस्तावना यह भी

कुछ पुराने पन्ने पल्टे अपनी जिंदगी के और उस पर जो 'काला' जम गया था उसी को समेट रहा हूँ इन पन्नों पर उस काले से जिसे कभी न कभी तो खो जाना है. लेकिन क्या वह कालिमा भी खो जाएगी जो इस पन्ने का हिस्सा एक शब्द की तरह नहीं पर याद की तरह है?

Monday, November 8, 2010

Truth

The dialogue of life, in alienation with self
where truth pervades as an irony of fate,
with cuddled emotions tracing you was difficult

Mired in my own tensions, trying to locate your truth within
Where were you?
In the truth, in my senses or in me.

Tuesday, November 2, 2010

Deserts

Meandering across the great deserts, in search of foresaken waters
one just tapers out like a lost stream

trying to explore the crevices of hope
a sense of lost identity,  a sense of oneness

how does it feel to be etched in memory?
to be known as an archive, as a lost dream