Tuesday, November 9, 2010

एक प्रस्तावना यह भी

कुछ पुराने पन्ने पल्टे अपनी जिंदगी के और उस पर जो 'काला' जम गया था उसी को समेट रहा हूँ इन पन्नों पर उस काले से जिसे कभी न कभी तो खो जाना है. लेकिन क्या वह कालिमा भी खो जाएगी जो इस पन्ने का हिस्सा एक शब्द की तरह नहीं पर याद की तरह है?

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