शब्दों को मत धकेलो
कि वह सो रही है
और रात अब भी उसकी आँखों में सघन है
जरा उसके पास बैठो और उसके सोफे पर भटकते हाथों पर नज़र फिराती उन आँखों को निहारो
वह क्या सपना देख रही है
क्या सूरज के अंदर झाँकने
और ड्रेगन फ्लाई के लिली पर मँडराना शुरू करने के बाद भी वह उसे याद रहेगा
उसने एक बार मुझसे कहा था
सपनों की कोई समृति नहीं होती
उन्हें छूने मत जाओ वे तो सर्वोपरि होते हैं
उन्हें क्षत- विक्षत सड़क पर बारिश के नन्हें चश्मो की तरह सोए रहने दो
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