मेरी कविता एक निराशा है
उन शब्दों की जो कभी जी नहीं
पाए, रोज़ एक असफल कलाकार
की नाईं मैं बैठ जाता कुछ हर्फों
का पोषण लिए और लिपता जाता
जैसे मरहम पट्टी करता हो वो
डॉक्टर, फिर रोज़ उस नासूर को
बढ़ता पा छोड़ देता उसे अपनी
मौत के लिए।
कविता एक निराशा
है कवि के लिए, वह जीवन जो
वो कभी जी नहीं पाया; ढूँढा
था जिसे कभी शब्दों मे मगर कभी
उभार नहीं पाया।
है कवि के लिए, वह जीवन जो
वो कभी जी नहीं पाया; ढूँढा
था जिसे कभी शब्दों मे मगर कभी
उभार नहीं पाया।
असंख्य शब्दों
की मृत्यु का शोक है एक कविता ;शब्द
जिसे वह पोषित न कर सका, शब्द जो
उसका साथ छोड़ गए, जो बच गए
कोरे कागज़ पर वह उसके सुने जीवन
के प्रतीक थे; जिनमे उन शब्दों की नाईं
कितनी बार मरा था वह, की एक कविता जी सके।
की मृत्यु का शोक है एक कविता ;शब्द
जिसे वह पोषित न कर सका, शब्द जो
उसका साथ छोड़ गए, जो बच गए
कोरे कागज़ पर वह उसके सुने जीवन
के प्रतीक थे; जिनमे उन शब्दों की नाईं
कितनी बार मरा था वह, की एक कविता जी सके।
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