कुछ रंग ढूढने निकला था घर से
हाथ में कुछ फुलझरियां थी और पटाखे भी
मगर वो चाँद धूमिल होता दिखा
तारों की याद में
हर दिवाली मुझे एहसास दे जाती है रंगों का
कुछ पसरे रंग, कुछ बोलते रंग
कुछ मुस्कुराहटो में बिखरे उदासियों के रंग
कही टीम टिमाती रोशनिया, कही अँधेरा घने कोहरे सा
कही एक मुस्कान, कही एक लाचार सी हँसी
हर कोई लगा था रंगों को समेटने में
कुछ खरीद कर, कुछ उसे भूला कर
भूला हुआ रंग भी तो समेटा जाता है
कभी यादो में तो कभी सपनो में
हाथ में कुछ फुलझरियां थी और पटाखे भी
मगर वो चाँद धूमिल होता दिखा
तारों की याद में
हर दिवाली मुझे एहसास दे जाती है रंगों का
कुछ पसरे रंग, कुछ बोलते रंग
कुछ मुस्कुराहटो में बिखरे उदासियों के रंग
कही टीम टिमाती रोशनिया, कही अँधेरा घने कोहरे सा
कही एक मुस्कान, कही एक लाचार सी हँसी
हर कोई लगा था रंगों को समेटने में
कुछ खरीद कर, कुछ उसे भूला कर
भूला हुआ रंग भी तो समेटा जाता है
कभी यादो में तो कभी सपनो में
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