अजीब सा शब्द है ये...रूमी से लेकर अमृता प्रीतम तक सब लिखते-गाते चले आये, और हम आज भी बात-बेबात सोच में पड़ जाते हैं कि क्या यही है वाह अहसास जिसके होने का अहसास ही हम ताउम्र तलाशना चाहते हैं. मालूम नहीं, पर जो भी है--पढ़कर अच्छा लगा|
अजीब सा शब्द है ये...रूमी से लेकर अमृता प्रीतम तक सब लिखते-गाते चले आये, और हम आज भी बात-बेबात सोच में पड़ जाते हैं कि क्या यही है वाह अहसास जिसके होने का अहसास ही हम ताउम्र तलाशना चाहते हैं. मालूम नहीं, पर जो भी है--पढ़कर अच्छा लगा|
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