मेरी एक और कविता (You and Me) का अनुवाद प्रमोद जी द्वारा
तुम और मैं
भूखों का पेट ना भर सके ऐसी फफूँदी ब्रेड के
जमे हुए रक्त के आस-पास एक मरी हुई मनुष्यता केक्षत-विक्षत शव के चहुँ ओर
जहाँ कुछ उम्मीदों को बधिया कर दिया
और कल्पनाशीलता को नकार दियावहाँ तुम्हारे और मेरे लिए जगहें सिकुड़ती जा रही हैं
भाप में तब्दील होती जाती कथा की इस खाली जगह में
तुम्हें और मुझे भुला दिया जाने दो, आओ हम खो गई मासूमियत की
भूमि में अंतिम स्मरण के तौर पर
जो लुढ़क आएँगे उन अंतिम समय के आँसुओं
के अंतिम सपने व चीख की स्मृतियों के किले में चले जाते हैं
तुम्हारे लिए, मेरे लिए और मुझमें बसने वाली तुम्हारे लिए जिसने मेरी कविता और मेरे भीतर से जुदा होना नकार दिया उस तुम्हारे लिए, जब प्यार क्षमा करना भूल जाता है तब जकड़ लेने वाली उन स्मृतियों के लिए,
दुनिया के गम को कम समझने वाले उस प्यार के गम के लिए
हम यह अंतिम उपाय करते हैं प्रिय!
जीवन रूपी इस 'कड़वे फल' में इन स्याह घने विकारों के बीच
उम्मीद की गुप्त चेतनता व समझ की अनंत अदृश्य दुर्गन्ध से घेर दिए गए
उन भुला दिए गए बचपनों की यादों में
मनहूसियत के साथ लेटी उन काँपती हुई आत्माओं के बीच
अब तुम और मैं इस अंतिम यात्रा पर निकलते हैं,
वे शब्द जो उकेर दिए जाने के लिए बेचैन हैं
उन्हीं से उधार लिए है, जिस प्यार की स्मृतियों में हम कभी रहे
वह उन्हीं की ऋणि है और जो कविता तुम्हारे होठों को छू लेने के लिए,
तुम्हारी आँखों को सहलाने और कानों में सिहरन पैदा करने के लिए प्रवाहित हुई,
वह उन्हीं की अपने अस्तित्व के रोजमर्रा के संघर्ष के बीच
अर्थ की तलाश का गीत थी.
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