मेरी कविता (You and Me) का एक और अनुवाद देव्यानी द्वारा....
तुम्हारे और मेरे लिए धरती सिकुड़ रही है
यह बासी रोटी का टुकड़ा नहीं मिटा सकता किसी कि भूख
बंजर हो चुकी हैं कुछ उम्मीदें
कल्पना करना मना है
निर्जीव मनुष्यता के इस शव के पास
जम चुका है लहु जिसकी शिराओं में
कदाचित इस असार में
जहाँ कथाएँ भाप बन कर उड़ जाती हैं
भुला दिया जाए तुम्हें और मुझे
चलो मेरी प्रिय
स्मृति के उस गढ़ में चलें
जहाँ ठहरे अंतिम स्वप्न और अंतिम आंसू
ढुलक पड़े शायद अंतिम याद की तरह
गुमशुदा मासूमियत के बगीचों से
तुम्हारे लिए और मेरे लिए
और उस तुम के लिए जो मुझमे है
वह तुम जो मेरी कविताओं, और खुद मुझ में
इस तरह समाहित है
मनो ठान लिया है यहाँ से कही भी न जाना
जब प्यार भूलना भूल जाता है स्मृतियाँ पीछा करती हैं
चलो मेरी प्रिय यह अंतिम डग भी लें
प्रेम में उदास होना नहीं जानता
दुनिया की दूसरी उदासियों को
इन अँधेरे उजाड़ों के बीच चलो हम चलें उस अंतिम यात्रा पर
इन अँधेरे उजाड़ों के बीच चलो हम चलें उस अंतिम यात्रा पर
मैं और तुम
जीवन के उस कसैले फल में स्मृतियों से भीगी कांपती रूहों के बीच
उम्मीद कि गुप्त चेतना कि दीवारों से बाहर छूट गए विस्मृत बचपन कि ओर चलें
चलें मन कि अंतहीन अदृश्य दुर्गन्ध के पार
यह शब्द जो सहलाते हैं
उन्ही से उधार में लिए हैं
जिस प्रेम को हमने जिया उसकी स्मृतियाँ
उन्ही कि कर्जदार हैं
यह पंक्तियाँ जो बह निकलती हैं
जिन्होंने कभी तुम्हारे होठों को छुआ
तुम्हारी आँखों को सहलाया
और गुदगुदाया तुम्हारे कानो को
यह उनके रोज़मर्रा के अस्तित्व के संघर्षों के बीच
सार्थकता कि तलाश के गीत थीं
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