क्या वह पूनम की नशीली रात थी ?
कि तुम गमगीन, सरल और जटिल प्यार की
शिकायत करते मेरी बगल में आ बैठी
कि तुम गमगीन, सरल और जटिल प्यार की
शिकायत करते मेरी बगल में आ बैठी
नकार से जन्मे दुख में और
जीवन के उन क्षणों में जब सब कुछ खालीपन में खत्म होता जा रहा था
जीवन के उन क्षणों में जब सब कुछ खालीपन में खत्म होता जा रहा था
एक-दूसरे के निकट आते हुए दो प्रेमियों ने समय के और स्मृति ने प्रेम के खिलाफ
अपनी एकाकी जंग छेड़ रखी थी
this is a translation of the poem "Forgotten Loves" http://imprintsonthesandsoftime.blogspot.com/2011/07/forgotten-loves.html by Pramod ji. Thanks again for the wonderful translation.