Sunday, September 11, 2011

एक अजनबी मौसम

एक अजनबी मौसम, एक अजनबी होता शहर और एक अजनबी शब्द का साथ. रात कि विरानीयों को तलाशने के लिए और कितने आवारा दिन अपने कंधों पर लादे फिरुंगा. फफक कर आँसु ही क्यों  नही छलक आते? कुछ यादें बिफर हि क्यों नही जाती? कुछ लम्हें टूट हि क्यों नही जाते? 

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